Tuesday, November 19, 2013

अथश्री अखिल भारतीय कवि-सम्मेलनीय आचार संहिता




अथश्री अखिल भारतीय कवि-सम्मेलनीय आचार संहिता


1. आयोजक

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कवि-सम्मेलनों  के वे पारम्परिक आयोजक जो कि  साहित्य और संस्कृति के उत्थान और संरक्षण के पुराने प्रहरी हैं, अपने काव्यमन्च पर केवल ऐसे कलमकारों को आमन्त्रित करें जिनके पास मौलिक रचनाओं के साथ साथ सौम्य प्रस्तुति हो, पूरे कार्यक्रम तक रुकने का समय हो  तथा न्यूनतम आधा घंटा काव्य-पाठ करके जनता जनार्दन को कार्यक्रम से जोड़े रखने का सामर्थ्य हो

ऐसे लोगों को हर्गिज़ न बुलायें जिनके पास इधर-उधर से उठाई अथवा चुराई गई  कविता / शेरो-शायरी हो, भौण्डी और अश्लील प्रस्तुति हो, अपनी प्रस्तुति से  मनोरंजन के बजाय साम्प्रदायिक उत्तेजना पैदा करते हों, सुरापान के बिना कविता न सुना सकते हों, गुटखा खा कर मंच पर ही थूकते हों और जिन्हें कार्यक्रम पूरा होने से पहले ही भाग जाने की उतावल हो . विशेषकर उन डेढ़ हुशियारों को तो कभी न बुलायें जो अकेले आने के बजाय अपने साथ अपने किसी पट्ठे या पट्ठी को लाने की ज़िद करते हैं  तथा "और कौन कौन आ रहे हैं ?" यह जानने के बाद  आपकी सोची हुई टीम में फेरबदल करवाते हुए अपने चहेते साथियों को यह कह कर फिट कराते हैं कि इनसे अच्छा और कोई नहीं


2 . संयोजक/संचालक 

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कवि-सम्मेलन का संयोजन शब्दब्रह्म  का एक पवित्र यज्ञ होता है इसलिए  उसका संयोजक/संचालक भी अत्यन्त सजग और सात्विक होना चाहिए . मन्च पर बैठे सभी कवि-कवयित्रियों को समान रूप से प्रस्तुत करना और बिना किसी भेदभाव के सभी को जमाने का प्रयास करना, ये एक ऐसी ज़िम्मेदारी है जिसे अपनी समस्त यारी-दुश्मनी व कुंठाओं से ऊपर उठ कर निभाना चाहिए . किसी भी कवि अथवा कवयित्री से कितने भी प्रगाढ़ सम्बन्ध क्यों न हों, उससे चिपक कर नहीं बैठना चाहिए,  चलते कार्यक्रम में उससे अन्य बातें  अथवा आँख मटक्का नहीं करना चाहिए तथा उसे हिट-सुपरहिट करने के चक्कर में पूरे कार्यक्रम की खाट खड़ी नहीं करनी चाहिए - नवोदित कवियों को मन्च का अनुभव नहीं होता इसलिए शुरुआत उनसे नहीं करना चाहिए क्योंकि शुरू के समय  लोगों का आवागमन व अन्य बाधाएं होती हैं और नवोदित कवि/ कवयित्री को यदि इन बाधाओं के कारण दर्शकों से उचित प्रतिसाद न मिले तो वे हतोत्साहित हो सकते हैं, शुरुआत तो किसी पूर्ण व्यावसायिक कवि से ही होनी चाहिए  ताकि कार्यक्रम की नीव मजबूत हो

इसके अलावा संयोजक का दायित्व ये भी है कि कार्यक्रम आरम्भ होने से पहले वह साउण्ड / लाइट्स आदि व्यवस्थाएं परख ले  और सभी कलमकारों के लिए पीने के पानी व चाय इत्यादि  की व्यवस्था सुनिश्चित कर ले - सभी क़लमकारों को बैठने के लिए यथायोग्य स्थान मिले व सभी कविगण पूरे कार्यक्रम में सजग हो कर बैठें  तथा सबकी प्रस्तुतियों पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया भी दें, यह काम भी संयोजक का है


3 . कवि / कवयित्री
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ये ध्यान रखें कि आप शहर के मेहमान नहीं बल्कि मेहमान कलाकार हैं, आपको आपका मुंहमांगा पारिश्रमिक दे कर बुलाया गया है और इसलिए बुलाया गया है ताकि वहाँ उपस्थित लोगों को आप अपनी कला से आनन्द के साथ साथ कोई अनुकरणीय सन्देश भी दे सको . चूँकि पैसा आपको मिल रहा है और तालियां भी आपको मिल रही हैं  इसलिए कविता भी वही सुनाइये जो आपकी अपनी स्वरचित हो, औरों के जुमले / शे'र  अथवा चुटकुले सुनाने के लिए आपको नहीं बुलाया गया है . साथ ही आप जिस रस में सुनाते हैं उसके गौरव को बढाइये परन्तु अन्य रस के कवियों का उपहास न कीजिये .  एक बार जो मानधन सुनिश्चित हो गया उस पर कायम रहिये . "फ्लाइट से आया हूँ, टैक्सी करनी पड़ी, इससे अधिक तो दिल्ली  में मिल रहे थे" ऐसा कह कर आयोजक को ब्लैकमेल और मन्च को लज्जित  न करें


दिन में पहुँच जाएँ तो आराम करें .  आपस में चाहे कितना ही लगाव हो परन्तु बिस्तर को केवल सोने के काम में लें, अन्य बिस्तरीय गतिविधियां न करें क्योंकि  दिन में ही शरीर थका लेंगे  तो रात को मंच पर मेहनत  नहीं कर पाएंगे व "माइक खराब है, माइक खराब है" के बहाने बनाएंगे।  आपको जितनी भी चुगली - निन्दा या बेमतलब की बातें करनी हों वे प्रोग्राम के बाद करें और  सबसे  मुख्य बात यह है कि  आप हॉटेल की सुविधाओं का केवल तात्कालिक उपयोग करें, स्थाई उपयोग के लिए वहाँ का सामान जैसे कि बेडशीट, तकिया कवर, टॉवेल, नेपकिन, क्रॉकरी, शैम्पू, साबुन आदि अपने साथ न ले जाएँ  क्योंकि आयोजक को इनका पूरा पैसा भरना पड़ता है . साड़ी, सलवार इत्यादि अपने घर से ही साफ़ सुथरे लाएं या फिर हॉटेल में अर्जेन्ट धुलाई या ड्राईक्लीन कराएं तो उसका पैमेन्ट स्वयं  करें


- इतिश्री अलबेला खत्री रचित अखिल भारतीय कवि-सम्मेलनीय आचार संहिता प्रथमोध्याय -

जय हिन्द !
अलबेला खत्री






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