Friday, November 22, 2013

आम आदमी द्वारा झाड़ू लगाना बुरा नहीं है लेकिन झाड़ू को गलत जगह फंसा लेना बुरा है ...



पुरुष द्वारा नारी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना कोई पाप नहीं है बल्कि एक नैसर्गिक आनंद का अनुभव है,  एक पुरुष द्वारा अनेक महिलाओं के साथ सम्भोग करना भी कोई अपराध नहीं है अपितु उस पुरुष के सौभाग्य और प्रारब्ध का पराक्रम है  परन्तु यही आनंद और पराक्रम  तब पाप की श्रेणी में आ जाता है  जब कोई व्यक्ति संत वेश में  लोगों को बेवकूफ बना कर यह काम करता है जैसे कि आशाराम बापू एंड संस

इसी प्रकार कवि  भी एक  आम आदमी है,  उसे भी भूख प्यास लगती है.…  लिहाज़ा कोई कवि  अगर अपनी कामपिपासा को शान्त करने  के लिए जगह जगह मुंह मारता फिरता है  तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ता, परन्तु  अपने आयोजकों और संयोजकों की  बहन - बेटी अथवा बीवी पर नज़र मैली करना  तो अपराध ही नहीं महापाप है  क्योंकि वहाँ  आप विश्वासघात  कर रहे होते हैं  उस परिवार के साथ भी और पूरी कवि  बिरादरी की साख के साथ भी

ख़ासकर  अमेरिका जैसे देश में जा कर वहाँ के हिन्दी  प्रेमियों और कविता के उपासकों  की भलमानसहत व विनम्र आतिथ्य की परिपाटी के भाल पर अपने दुराचारी और कुत्सित पंजे अंकित करने की कोशिश करना  तो  चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसी बात है - भले ही वे मारपीट नहीं करते, केस वेस भी नहीं करते,   लेकिन चुप भी नहीं रहते - ईमेल तथा फोन के ज़रिये  सब तरफ चर्चा तो कर ही देते हैं

मैं मानता हूँ  कि एक कवि  द्वारा अपने मानधन का पैसा नगद  प्राप्त करना कोई अपराध नहीं है , सभी कवि लेते हैं, मैं भी लेता हूँ  मज़े की बात तो ये है कि खुद इनकम टेक्स वाले भी हमें नगद ही देते हैं परन्तु  यह पैसा  उस वक्त कालाधन हो जाता है  जब आप  उसे छिपाते हैं और अपनी वार्षिक रिटर्न में  पूरा पूरा नहीं दिखाते ---

कौन कवि कितने प्रोग्राम करता है और  प्रति प्रोग्राम कितने रुपये लेता है  ये कोई बड़ी बात नहीं है - इस मामले  में आमदनी छुपाने  वाले सभी कवि एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं,   कोई दूध का धुला नहीं है परन्तु  ये उल्लेखनीय इसलिए हो जाता है कि कवि  से लोगबाग ऐसे व्यवहार की  अपेक्षा नहीं करते.  कहने  का मतलब ये है कि आम आदमी द्वारा झाड़ू दिखाना बुरा नहीं है, झाड़ू लगाना भी बुरा नहीं है  लेकिन उस झाड़ू को  ऐसी गलत जगह फंसा लेना कि  आदमी मोर जैसा दिखने लगे, बुरा है  . लोग देख देख कर हँसने लगते है

याद रहे ब्रह्मचारी कहलाना  बुरा नहीं है  लेकिन ब्रह्मचारी की संतान कहलाना  बुरा है

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

No comments:

Post a Comment