स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर आज उनके कुछ वचन आप सब मित्रों से साझा कर रहा हूँ
1
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर, अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर, उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।
2
धर्म को लेकर कभी विवाद न करो । धर्म सम्बन्धी सारे विवाद और झगड़े केवल यही दर्शाते हैं कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है । धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं
3
एक मोची, जो कम से कम समय में बढ़िया और मजबूत जूतों की जोड़ी तैयार कर सकता है, अपने व्यवसाय में वह उस प्राध्यापक की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है जो दिन भर थोथी बकवास ही करता रहता है
- स्वामी विवेकानंद
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
1
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर, अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर, उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।
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धर्म को लेकर कभी विवाद न करो । धर्म सम्बन्धी सारे विवाद और झगड़े केवल यही दर्शाते हैं कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है । धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं
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एक मोची, जो कम से कम समय में बढ़िया और मजबूत जूतों की जोड़ी तैयार कर सकता है, अपने व्यवसाय में वह उस प्राध्यापक की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है जो दिन भर थोथी बकवास ही करता रहता है
- स्वामी विवेकानंद
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
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