कमाल है भाई, बक बक करने की आज़ादी का इतना लाभ तो गली के भौंकू कुत्ते भी नहीं उठाते जितना नए नए उगे राजनैतिक कुकुरमुत्ते उठा रहे हैं
एक हल्दी की गांठ क्या हाथ लग गयी, ससुरे चूहे भी खुद को पंसारी बताने लगे - खुद को बताने लगे तो कोई बात नहीं, बाकी सभी व्यापारियों को चोर बताने लगे, ये गलत बात है
मुझे लगता है, अब इनकी पिटाई का समय शुरू होने ही वाला है
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
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