Wednesday, November 6, 2013

यह टाइम ऐसा ही है जैसा कई साल पहले गणेशजी के दूध पीने से दूध बेचने वालों का आया था ...


प्यारे मित्रो ! 
एक मज़ेदार बात याद आ गयी ...वोह  आपसे साझा कर लेता हूँ ....

सन 1991-92 में  जयपुर समारोह के कवि सम्मेलन में बंकट बिहारी 'पागल' की अटैची उठा कर एक नया कवि आया था जो कि उस कार्यक्रम में जम नहीं सका ....दोबारा वह दो साल बाद दिखा डॉ उर्मिलेश 'शंखधर' के सौजन्य से  अहमदाबाद में जहाँ वह बुरी तरह फ्लॉप रहा और  उर्मिलेश जी की कोपदृष्टि का शिकार भी हुआ  ....तब वह मुक्तक और गीत सुनाया करता था ....लेकिन लगातार असफलता ने उसे  चुटकुले चुराना और सुनाना, दोनों एक साथ सिखा दिया .......परिणामतः वह चल निकला और हिट भी होने लगा ....हास्यकवि सम्मेलनो के सबसे बड़े संयोजक और मंच संचालक हास्यसम्राट डॉ रामरिख मनहर के निधन से देश के काव्य-मंचों पर एक धुआंधार मंच संचालक  की जगह खाली हो गयी थी इसलिए अवसर का लाभ लेते हुए उसने संयोजन और सञ्चालन शुरू कर दिया ...सन्तोषानन्द से आत्मविश्वास, निर्भय हाथरसी  से बतरस, सत्यनारायण सत्तन से मुंहज़ोरी, सुरेन्द्र शर्मा से व्यावसायिक  कौशल, डॉ उर्मिलेश से गीत का सलीका व अन्य से अन्यान्य गुण ले ले कर उसने एक शानदार मसाला बनाया जो कि लोगों को बहुत रास आया .....एक दिन सफलता के मद में चूर हो कर वह  मुझसे बोला - "अलबेला खत्री, तुमको धन्धा करना नहीं आता ....मुझे देखो ..रोज़ प्रोग्राम कर रहा हूँ  और अपनी ही ठेकेदारी में कर रहा हूँ ...5 0 हज़ार अपने नाम से लेता हूँ  और इतने ही औरों के लिफ़ाफ़ों से निकाल लेता हूँ जबकि तुम आज भी  15 -20 हज़ार में रोते फिरते हो ............मुझे बुरा तो बहुत लगा क्योंकि मैं कविता को धन्धा नहीं अपना शौक और प्यार समझता हूँ ..........लेकिन उसे मैंने श्याम ज्वालामुखी की तरह पीटा नहीं,  केवल इतना कहा कि प्यारे भाई  मुझे इस लाइन में 2 8  साल ( 4 वर्ष पूर्व की बात है ) हो गए हैं और सिर्फ कविता के दम पर चल रहा हूँ ...जिस दिन तुम्हें इस लाइन में इतने साल हो जाएँ, उस दिन बात करेंगे  क्योंकि अभी तुम्हारा टाइम चल रहा है . यह टाइम ऐसा ही है जैसा  कई साल पहले गणेशजी के दूध पीने से दूध बेचने वालों का आया था ...एक लीटर दूध उस दिन हज़ार रुपये तक बिका था ..इसका मतलब दूध को यह नहीं लगाना चाहिए कि उसकी  कीमत हज़ार रुपये लीटर हो गयी .....हा हा हा हा

जय हिन्द !



1 comment:

  1. बातों बातों मे आपने अपना रेट बता दिया बंधु ! लेकिन यह सच है कि स्‍थायित्‍व के लिये गुणवत्त् होना आवश्यक है . बधाई .

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