आदरणीय वरिष्ठ कवियो, प्यारे नवोदित कवि मित्रो, कवयित्री सखियो, कवि-सम्मेलनीय संयोजको, आयोजको एवं प्रायोजकों !
दिल की बात लिख रहा हूँ, ज़रा ध्यान से बांचना … कुछ लोगों को लग रहा होगा कि मैं कोई भड़ास निकाल रहा हूँ.कुछ लोग प्रचारित कर रहे होंगे कि मैं पगला गया हूँ परन्तु जो वाकई मुझे जानते हैं वे समझ सकते हैं कि मैं कोई भड़ासिया नहीं बल्कि भड़ासियों की भड़ास शांत करने वाला आयटम हूँ
मित्रो, पिछले तीन दशक से देख रहा हूँ कि कवि-सम्मेलनीय मंचों पर, खासकर वहाँ जहाँ नोटों वाला लिफ़ाफ़ा बड़ा मिलता है, वही के वही मुट्ठी भर लोग चल रहे हैं कभी कोई नया बन्दा आता भी है तो उन्हीं द्वारा प्रमोट किया सगा सम्बन्धी वगैरह = हद तो तब हो जाती है जब एक ही दिन में 2 प्रोग्राम टकरा रहे हों तो ये लोग तारीख बदलवा देते हैं ( कैसे बदलवाते है, ये बाद में बताऊंगा ) परन्तु किसी दूसरे के लिए रास्ता नहीं छोड़ते - मैं लाहनत भेजता हूँ ऐसी गन्दी और सड़ी हुई मानसिकता पर -
एक तरफ यही कवि मंच से चिल्लाते हैं कि राजनीति में जब तक नए, ऊर्जस्वित और प्रतिभावान लोग नहीं आयेंगे, देश का भला नहीं होगा - दूसरी तरफ ये लोग ऐसे चिपके हैं मंच से कि नई हवा आने ही नहीं देते - ये उन प्रतिभाओं का शोषण है जो हिंदी काव्यमंचों को अपनी सेवा देने में सक्षम भी हैं और समर्पित भी === लेकिन सबकी अपनी अपनी गिरोहबंदी है, देसी भाषा में सबकी चंडाल चौकड़ियाँ बनी हुई हैं जो बस अपने ही अपने सदस्य को माल दिलाने के लिए एकजुट रहते हैं
अरे देखो देखो देखो - गावस्कर, कपिल, सचिन, द्रविड़,सौरव बहुत महान हैं लेकिन छोड़ दिया क्रिकेट नए लोगों को रास्ता देने के लिए और परिणाम ये निकला कि रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे लोगों ने भारत की क्रिकेट को और चमकदार बना दिया,,,,,,,,,,,,अभी भी सवेरा है, अभी सबकुछ ख़त्म नहीं हुआ है लेकिन ये आदरणीय वरिष्ठ लोग जब तक कवि-सम्मेलन को ख़त्म नहीं करा देंगे, मानने वाले नहीं - इसलिए मेरा खुला निमंत्रण है उन सभी प्रतिभावान नए कवियों को कि अगर इस मंच को सुरक्षित और चमकदार रखने में अपना योगदान दें चाहते हो तो आओ ,,,,,,,,,,,,,मेरे साथ आओ
ये मत सोचो कि मेरे पास कितने आयोजन हैं ,,ये मत सोचो कि मैं तो खुद लाफ्टरिया हूँ, ये देखो कि मेरे भीतर कितनी आग है जो आप सबके संघर्ष को वहाँ तक ले जायेगी जहाँ सफलता आपका स्वागत करेगी ----- आने वाला समय हमारा है , अगर ऐसा सोचते रहोगे तो घाटे में रहोगे ,,,,उठो ! चलो मेरे साथ - मैं इस विसंगति को जड़ से मिटा दूंगा, ये मेरा दावा है और वादा भी ,,,,,,,
हमारे ख्यातनाम वरिष्ठ कवियों ने इस मंच को सफल बनाये रखा है और देश विदेश में हिन्दी की पताका को फहराया है इसलिए उनके योगदान के समक्ष हम सब नत मस्तक हैं - क्योंकि यदि इनमे प्रतिभा न होती तो ये मंच कभी का ख़त्म हो गया होता - नि: संदेह इनका सम्मान और सत्कार हमारा दायित्व है , परन्तु इन्हें भी अपने दायित्व को समझना होगा
समझ जाएँ तो ठीक ,,,वर्ना समझाना पड़ेगा और तब हम भूल जायेंगे कि किसका क्या योगदान है, तब हमें सिर्फ ये याद रहेगा हमारी सीट पर कौन कब्ज़ा कर के बैठा है
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
akhil bhartiya hindi hasya kavi sammelan & albela khatri |
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