Tuesday, December 24, 2013

कवियों में सिरमौर, सरल मानव माणिकजी


माणिकजी से मिल गई जब मुझको आशीष
ऊर्जस्वित तन मन हुआ, धन्य होगया शीश
धन्य होगया शीश, मिला क़तरे को सागर
ऊपर तक भर गई, शुष्क थी जो घट गागर
कहते हैं सब लोग, बात है प्रामाणिक जी
कवियों में सिरमौर, सरल मानव माणिकजी
-अलबेला खत्री


vyangya samrat manik varma & albela khatri in puruliya 1

vyangya samrat manik varma & albela khatri in puruliya 2

vyangya samrat manik varma & albela khatri in puruliya 3

साउण्ड सिस्टम खराब होगा या फिर आपके शहर के श्रोता नालायक होंगे :-)

a call for hindi hasya kavi sammelan

'हैलो ....... पूरती पाले जी ?'

'हांजी, पूरती बोल रही हूँ, आप कौन ?'

'मैं फ़लाने शहर से, धिंकाने सांस्कृतिक संगम का प्रमुख भोलाराम पन्सारी बोल रहा हूँ पूरती जी, आप आईं थी न हमारे यहाँ ,,,,,क्या आप हमें भूल गए ?'

' नहीं जी नहीं, भूल कैसे सकते हैं ? कहिये क्या बात है ?'

'बात ऐसी है कि  पिछली बार तो हम टीम बनाने में धोखा खा गए क्योंकि कुकर्माजी के दबाव में आ गए थे  परन्तु इस बार हम कुछ अच्छे कवियों को बुलाना चाहते हैं तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमें कुछ बढ़िया कवियों / कवयित्रियों के नाम और नंबर देदो ताकि हम उनसे बात कर सकें'

'नम्बर तो मैं किसी का दे नहीं सकती पर आपके लिए कुछ बढ़िया नाम बता सकती हूँ, बजट क्या है आपका '

'जी बजट तो वही है 1 लाख के आसपास .... '

'1  लाख में क्या होता है भोलारामजी, अगर आप 2  लाख तक खर्च करो तो मैं अपने साथ देश के सबसे बड़े हास्यकवि मदिरेन्द्र डूबे, व्यंग्य व्योम चम्पक तरल, रमेन्द्र गजबजी के साथ साथ २-३ और कवि लेकर आ सकती हूँ'

' नहीं पूरती पालेजी, आप तो पिछली बार आ चुकी हैं, इस बार हम कोई दूसरी कवयित्री बुलाएँगे और जहाँ तक बात मदिरेन्द्र डूबे की है तो वोह भी नहीं चलेंगे, कोई ढंग का नाम बताओ ?'

'ढंग का नाम?  कैसी बात कर रहे हैं सर आप ? मदिरेन्द्र जी से बड़ा हास्यकवि कौन है देश में ? आज पूरे ब्रह्माण्ड को खंगाल लो तो हिंदी कविता के नाम पर आपको केवल दो लोग शीर्ष पर मिलेंगे ,,,एक वोह और एक मैं ,,,बाकी सब तो चिल्लर पार्टी है'

' ये आप कैसे कह सकती हैं पूरतीजी ? ऐसा आप दोनों ने क्या लिख दिया जो इत्ती बड़ी बात कर रही हैं ?
 
' सवाल लिखने का नहीं है भोलाभाई, याद करने  का है,, डूबे जी को इतना मसाला याद है कि वे अकेले ही पूरी रात बोल सकते हैं और मेरे बारे में तो आप जानते ही हैं ,,अब इस बात को क्या दोहराना कि जब मंच पर खड़ी होती हूँ तो लगता है साक्षात् सरस्वती माइक पर आ गयी हो '

' पर हमारे यहाँ  तो आप बिलकुल फ्लॉप हो गयी थीं, लोगों ने आपको सुना ही नहीं ,, आपको हमने 20 हज़ार रूपये दिए थे लेकिन आपसे  ज़यादा काम तो 2 हज़ार वाली लोकल कवयित्री ने किया था आपको याद ही होगा ?'

' सुना या नहीं सुना, उससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता  लेकिन मैं भारत की कवयित्री नंबर वन हूँ इसमें कोई शक नहीं,  चाहें तो आप  खुद मदिरेन्द्रजी से कन्फर्म कर लीजिये  और बात रही  प्रोग्राम की तो देखिये, जमने और न जमने के कई कारण होते हैं, अगर मैं नहीं जमी तो ज़ाहिर है कि आपका साउण्ड सिस्टम खराब होगा या फिर आपके शहर के श्रोता  नालायक होंगे जिनको कविता सुनने की तमीज न होगी '

'पालेजी,  साउण्ड तो हमने वो मंगाया था जिसकी जगजीत सिंह जैसे ग़ज़ल गायक ने भी तारीफ़ की और श्रोता हमारे शहर के मूर्ख नहीं हैं , पिछले 40 साल से कवि सम्मेलन सुनते आये हैं और आपको ये जानकार ख़ुशी होगी कि हमें चंदा भी वही श्रोता देते हैं'

'तो हो सकता है, मुझे गलत क्रम पर खड़ा कर दिया हो, हर मंच संचालक में इतना सेन्स  कहाँ होता है कि जान सके कि किस कवयित्री को कब प्रस्तुत करना है '

' बहनजी, आप बहाना क्यों करती हैं ? क्रम भी आपने ही चुना था, आप ही ने  कहा था कि मुझे ट्रेन पकड़नी है इसलिए जल्दी पढ़वा कर मुक्त कर दो '

'चलो जाने दो, अब मुद्दे की बात ये है कि आप अगर मुझे बुलाएंगे तो ही मैं टीम बनाउंगी और अगर मैं टीम बनाउंगी तो पहला नाम डूबेजी का ही होगा ……'


'आपको मैंने आमंत्रित करने के लिए  फोन नहीं किया है पालेजी, न ही मुझे आपसे कोई सलाह चाहिए, मुझे तो  कुछ अच्छे कवियों के फोन नंबर चाहिए, अगर दे सको तो देदो ,,,हैलो हैलो ---हैलो …… लगता है फोन कट गया'

या फिर काट दिया गया   ;-) '

जय हिन्द !
hasyakavi sammelan by albela khatri



Friday, December 20, 2013

क्या यह सच है कि यौन शोषण सिर्फ़ महिलाओं का होता है पुरुषों का नहीं ?



क्या यह सच है कि यौन शोषण सिर्फ़ महिलाओं का होता है पुरुषों का नहीं ?
क्या यह सच है कि केवल पुरुष ही बलात्कारी होते हैं महिलाएं नहीं ?

ज़रा सोचिये,
सच इतना ही नहीं जितना दिखाया जा रहा है
सच वोह भी है जिसे दिखाया नहीं जा सकता

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री

यौन शोषण

hasyakavi albela khatri's  new poem purush bachaao party

Thursday, December 19, 2013

सांपला सांस्कृतिक मंच वालो ! मुझे ख़ुशी है कि अब तुम पूरे हुशियार हो गए हो.……



स्नेही बन्धु अन्तर सोहेल जी,
संस्थापक, सांपला सांस्कृतिक मंच

जहाँ तक मुझे याद है, कोई चार साल पहले आपने अपने एक ब्लॉगर साथी व कविमित्र योगिन्द्र मौदगिल  के साथ विचार करके सांपला नगर में एक हास्य कवि-सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई  थी लेकिन तब आप इस बात से बिलकुल अनजान थे कि कवि सम्मेलन क्या होता है, उसमें क्या क्या व्यवस्थायें करनी पड़ती हैं और कितना खर्च आता है ? लेकिन आपके पास योगिन्द्र मौदगिल और अलबेला खत्री  जैसे दो मंचीय दोस्त थे  जिनके बल पर आप यह हिम्मत कर  रहे थे 

आयोजन करने के लिए  आपके पास न पैसा था  और न ही कोई अन्य सुविधा, परन्तु आपने अपने कविमित्रों से यह कहा था कि एक बार मुझे सहयोग करो, क्योंकि  ये पहला पहला मामला है और आपके सहयोग से मैं इस शहर  में कवि सम्मेलन का बीजारोपण करना चाहता हूँ - अगर प्रोग्राम हिट हो गया तो बाद में हर साल करते रहेंगे - चूँकि हम भावुक के अलावा आपके मित्र भी थे  इसलिए  हमने हाँ भर दी

तब आपने दोस्ती खाते में केवल किराया भाड़ा के एवज़ में  कुछ  कवि बुला कर सांपला नगर में पहला कवि सम्मेलन  किया जो कि कवियों की मेहनत और प्रतिभा के कारण  अत्यंत सफल रहा - उल्लेखनीय है कि उस प्रोग्राम में सारे कवियों ने आर्थिक समझोता इसलिए किया था क्योंकि सबको योगिन्द्र भाई  ने अपना वास्ता दिया था  साथ ही अलबेला खत्री का भी मन था कि अपने ब्लॉगर बन्धु  की जय जय करवाये. इसलिए  31 दिसम्बर का इरोड का तयशुदा प्रोग्राम रद्द करके भी वह सांपला इसलिए आया था  ताकि  एक नए कवि सम्मेलन के जन्म का साक्षी बन सके .  वह प्रोग्राम 1 जनवरी 2011 की ठण्डी रात में था और आपके पास गर्म पानी तक की व्यवस्था नहीं थी  लेकिन किसी ने कोई अडंगा नहीं लगाया सभी ने बढ़िया प्रोग्राम जमाया

sanpla kavi sammelan 1


चूँकि पहला प्रोग्राम इतना ज़यादा हिट हो गया था कि पब्लिक की डिमाण्ड पर और पर्याप्त जनसहयोग के दम पर आपने एक साल पूरा होने के पहले ही  दूसरा कवि सम्मेलन कर लिया  जिसमें नाम मात्र की राशि कवियों को दी थी - उस कवि सम्मेलन में मौसम और बद इन्तेज़ामी के चलते कवियों को बहुत परेशानी हुई लेकिन सब सह कर भी उनहोंने  आपको सहयोग किया  और प्रोग्राम हिट किया


sanpla kavi sammelan 2


इसके बाद आपको लगने लगा कि कवि सम्मेलन करके तो पैसा भी बचाया जा सकता है - लेकिन पैसा तभी बचेगा जब कवि सम्मेलन में ऐसे कवियों का नाम हो जो पहले नहीं आये हों क्योंकि जो लोग पहले फ़ोकट में या कम मानधन पर आ चुके हैं उनके नाम पर तो बड़ा खर्च दिखाया नहीं जा सकता।  लिहाज़ा आपने टीम बदल कर प्रयोग किया

sanpla kavi sammelan 3


और अब आपका अनुभव इतना बढ़ गया है कि  पैसा कमाने के फेर में आप अपने चौथे कवि सम्मेलन में फिर ऐसे ही  कवियों को बुला रहे हैं  जिनके नाम पर बड़ा खर्च दिखाया जा सके


मुझे सिर्फ़  इतना कहना  है कि पहली पहली बार जो कवि  आये थे वो भी कोई छोटे कवि  नहीं थे, बल्कि वो तो इसलिए भी ज़यादा बड़े कवि थे क्योंकि उनकी मेंहनत  और क़ुर्बानी के दम पर ही सांपला में कवि सम्मेलन का आयोजन स्थापित हुआ,  जिनकी पीठ पर चढ़ कर यहाँ तक पहुंचे हो कभी उनके प्रति कृतज्ञता का भाव मत भूलना


sanpla kavi sammelan 4

जिन परिस्थितियों में, जिस धर्मशाला में, जिन व्यवस्थाओं के  बीच  एडजस्ट करके योगिन्द्र मौदगिल और अलबेला खत्री ने आपको और आपके आयोजन को सफल किया था  वैसी स्थिति में कोई दूसरा एडजस्ट नहीं करेगा  - हमने तो केवल एक सांस्कृतिक हलचल ज़िन्दा करने के लिए अपना नुक्सान करके भी आपको ऊर्जा दी थी …………हमें नहीं मालूम था कि आप हमारे यज्ञ स्थल पर ऐसी झाड़ू मारोगे

प्यारे भाई, सभी कवि हमारे अपने हैं, हमारे मित्र हैं, सभी आपस में एक परिवार की भांति हैं, जो भी आपके शहर में  आएगा वोह अपनी वाणी से धूम मचाएगा और आपका कार्यक्रम सफल ही होगा, हमें किसी से भी कोई दुर्भाव नहीं हैं  लेकिन तक़लीफ़ इस बात की है कि जब कुछ नहीं था तब आपने अपने मित्रों का इस्तेमाल किया, उनके ज़रिये रुपये का माल चवन्नी में प्राप्त किया और जब आपकी जेब में रुपया आ गया तो दोस्त का नाम दिमाग से निकल गया





नोट : यह किस्सा केवल सांपला का नहीं है, सांपला तो एक माध्यम बन गया है ……………इस आलेख के ज़रिये मैं पूरे देश के आयोजकों को यह सन्देश देना चाहता हूँ कि  जिन लोगों के सहयोग से आपने आयोजन खड़े किये हैं उन्हें कभी भूलना नहीं

जय हिन्द !
अलबेला खत्री












Wednesday, December 18, 2013

hasyakavi albela khatri presenting 101 show for free to students


1 5 फ़रवरी से 2 3 जुलाई 2014 तक
101 नि:शुल्क प्रस्तुतियां



आज 18 दिसम्बर 2013 का दिन मेरे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि कवि-सम्मेलनों के मंचों पर काव्यपाठ करते हुए आज मुझे 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं . इन 30 वर्षों के दौरान भारत, अमेरिका, कनाडा, वेस्ट इण्डीज़, चाईना, हांगकांग व सिंगापोर इत्यादि में 6214 मंचों पर प्रस्तुति की जिनमे कवि सम्मेलन के अलावा, लाफ्टर शो, ग़ज़ल नाईट, भजन संध्या व अनेक प्रकार के एकल कार्यक्रम शामिल हैं. जीवन में कई शानदार चढ़ाव और कई दर्दनाक उतार आये जिनके असर में कभी ख़ूब खिलखिलाया और कभी ख़ूब रोया ……… बहुत कुछ देखा और अनुभव किया

जो अजनबी थे, वो मित्र बने, मित्र से प्रतिद्वन्द्वी बने, प्रतिद्वन्द्वी से दुश्मन बने और अंततः दुश्मन से कट्टर दुश्मन बने

जिन्हें आगे बढ़ाने के लिए मैंने ख़ुद को पीछे कर लिया वो तो डेढ़ हुशियार + एहसानफ़रामोश निकले और जिनके सहयोग से मैं इस भीड़ में ज़िन्दा रह पाया उनके लिए कुछ करने का भगवान् ने मुझे कोई अवसर और सामर्थ्य नहीं दिया --- कुल मिला कर "तेरा भाणा मीठा लागे" की तर्ज़ पर सन्तुष्ट हूँ और आभार व्यक्त करता हूँ उन सभी शुभचिन्तकों व हितैषियों का जिन्होंने मुझे गिरने नहीं दिया और लोहा मानता हूँ उन सभी की एकता का जिन्होंने मुझे खड़ा होने नहीं दिया

सबकी जय हो
अलबेला खत्री


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Monday, December 16, 2013

ऐसे नहीं बनूँगा मैं आपका जमाई ! पहले आप मेरी 18 शर्तें स्वीकार करो ....



दबंगों का आपस में बड़ा घमासान मचा हुआ था. झण्डूनगर के राजा सुप्तचन्द्र की राजकन्या गुप्तचन्द्रिका से ब्याह करने के लिए अनेक युवक मरे जा रहे थे लेकिन नगर की परम्परा के अनुसार राजकन्या मिलनी उसी को थी जिसके लिए  गुप्तचन्द्रिका की माता विलुप्तचन्द्रिका व मौसी सुसुप्तचन्द्रिका समेत  अधिकांश नगरवासी  हाथ उठा कर  बहुमत में अपनी सहमति की मुहर लगा दे

संयोग से यह सौभाग्य ठण्डू  मोहल्ले के उत्साही नौजवान चण्डू चटोरकर को मिला जिसने स्वयंवर के दौरान घोषणा की थी कि यदि राजकन्या का ब्याह उससे हो गया तो वह झण्डू नगर के हर नागरिक को उसके साथ  एक रात आनन्द करने का अवसर देगा, साथ ही रोज़ाना  700 लीटर पानी भी मुफ्त में लाकर देगा. झण्डूनगर के सारे ठरकी मन ही मन खुश थे कि भले एक रात के लिए ही सही, जन्नत की सैर तो मिलेगी ………लेकिन ये क्या ?  जैसे ही विजेता  के नाम की घोषणा हुई और सुप्तचन्द्र ने अपनी बेटी गुप्तचन्द्रिका का हाथ चण्डू चटोरकर के हाथ में थमाया,  उसके तेवर ही बदल गए ……बोला - ऐसे नहीं बनूँगा मैं आपका जमाई !  पहले आप मेरी 18 शर्तें स्वीकार करो तो ही मैं राजकन्या का शीलभंग करूँगा अन्यथा  रखो अपनी कन्या अपने घर .... मैं तो चला

लोगों ने कहा शर्तें बताओ तो उसने बताना शुरू किया :
01  मैं इसके साथ  सोऊंगा
02  इसे मैं मेरे घर में रखूँगा
03 ये मेरी पत्नी कहलायेगी
04 मैं इससे हर साल दस बच्चे पैदा करूँगा
05 मुझे पूर्ण पति का दर्ज़ा दिया जाएगा
06 इससे होने वाले बच्चे मेरी औलाद कहलायेंगे
07 हमारे बच्चों का नामकरण का अधिकार मेरा होगा
08 मेरी चाय में अदरक ज़रूर डालनी होगी
09 मैं जब भी शराब पीकर आऊं, मुझे गटर में गिरने से न रोका जाए
10 सर्दी में हम दोनों को एक ही रज़ाई ओढ़ कर सोना होगा
11 सब्ज़ी वही बनेगी, जो मेरी पत्नी चाहेगी
12 राजकन्या को कभी कभी नए वस्त्र और जूते दिलाये जायेंगे
13 राजकन्या चाहेगी तो ज़ेवर  भी बनाये जायेंगे
14 सुहागरात के मौके पर हमारे कमरे में हम दोनों के सिवा और कोई नहीं रहेगा
15 दहेज़ में हम जो मिलेगा उसीको  स्वीकार  करेंगे
16 घर में जमा पुराने अखबार रद्दी में बेचे जायेंगे
17 हमारे घर में धूप सिर्फ दिन में रहेगी,  रात को अँधेरा स्वीकार करना होगा
18 राजकन्या को जनराजकन्या का नाम दिया जाएगा

यह सुन कर सुप्तचन्द्र ने अपनी राजकन्या का हाथ वापिस उसके हाथ से ले लिया और बोले - जा बे चूतिये ! तेरे जैसे कई फिरते हैं टोपी लगाए .... एक तो तेरे को मेरी वो रूपसी राजकन्या मिल रही है जिसके लिए तू  तड़प रहा था, बोनस में पूरे नगर का समर्थन मिल रहा है, उस पर तू ऐसी शर्तें लगा रहा है  जिससे हमारा कोई लेना देना ही नहीं .... जा भाग जा …स्वयंवर  दोबारा होगा  और अब किसी ढंग के  आदमी को ही अपनी बेटी का हाथ दूंगा

चण्डू चटोरकर का मुंह अब देखने लायक था

-अलबेला खत्री


Sunday, December 15, 2013

औरों के दीयों से जो तेल चुराये, वो क्या बिजली के सस्ते दाम करेगा


पापा कहते हैं बड़ा काम करेगा
लंगड़ी गुठली को चौसा आम करेगा

हाथों में झाड़ू लिए घूम रहा है
अब ये सफ़ाई सुबहो-शाम करेगा

बन्दर के हाथों में जो आया  उस्तरा
अपना ही काम ये तमाम करेगा

चेला  गुरु की धोती खींच रहा है
अस्मत ये खादी की नीलाम करेगा

औरों के दीयों से जो तेल चुराये
वो क्या बिजली के सस्ते दाम करेगा

'अलबेला' गर इसे अभी रोक न दिया
जीना ये सबका हराम करेगा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

political parody by hasyakavi albela khatri

political parody by hasyakavi albela khatri
political parody by hasyakavi albela khatri

creation of hasyakavi albela khatri



Thursday, December 12, 2013

समलैंगिकों आगे बढो ..हम तुम्हारे साथ हैं ...


समलैंगिकता में फ़ायदे ही फ़ायदे  :
_______________________
 सब के सब सम्भ्रांत किस्म के भले लोग हाथ धोकर, बल्कि नहा धो कर समलैंगिकों   के पीछे पड़े हैं । जिससे अपना सूटकेस तक नहीं उठता, उसने भी लट्ठ उठा रखा है और ढूंढ रहा है समलैंगिकों  को .............क्यों भाई ? क्या बिगाड़ा है उन्होंने आपका ? क्या वो आपके साथ कुछ हरकत कर रहे हैं ? क्या वो आपको कोई तकलीफ़  पहुँचा रहे हैं ? नहीं न ?

तो जीने दो न उन को अपने हिसाब से ... तुम क्यों ज़बरदस्ती उनकी खीर में अपना चम्मच हिला रहे हो ? अरे आपको तो उनका सम्मान करना चाहिए...

नागरिक अभिनन्दन करना चाहिए ... और आप उनका अपमान कर रहे हैं । असल में आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आपकी समझदानियाँ छोटी हैं

जिनमें  अभी तक ये बात आई ही नहीं कि समलैंगिकता  समाज के लिए अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है।  सम यानी some का मतलब होता है कम,

अब कोई लैंगिक  सम्बन्ध कम बनाए तो आपको क्या तकलीफ़  है ? कौआ अगर कूड़े में मुंह मारता है ,गिद्ध अगर मुर्दों का मांस नोंचते हैं या कोई सूअर गन्दगी में ऐश करता है तो क्या हमें तकलीफ़  होती है ? बिल्कुल नहीं होती, जो जैसे भाग्य लेकर आया है वैसा जीवन जीता है । तो फ़िर ये गे लोग जो नर्क अपने भाग्य में लिखा कर लाये हैं उससे हमें तकलीफ़  क्यों ?

___________समलैंगिकता के फायदे :


१ जब कुत्सित और कामी पुरूष आपस में ही संतुष्टि प्राप्त कर लेंगे तो महिलाओं और कन्याओं पर होने वाले अनाचार में कमी आएगी । वे निश्चिंत हो कर घर से बाहर जा सकेंगी ...

२ सजातीय सम्बन्धों के कारण अनैच्छिक गर्भाधान और भ्रूण हत्या जैसे पाप भी कम होंगे । बल्कि ख़त्म ही हो जायेंगे ।

३ सबसे बड़ा खतरा आज हमें तेज़ी से बढती जनसँख्या का है । समलैंगिकता से यह खतरा भी कम होगा, आबादी पर विराम लगेगा । और भी बहुत से फ़ायदे हैं जो मैं गिना सकता हूँ लेकिन डर ये है कि इनका इतना पक्ष लेते लेते कहीं मैं ख़ुद ही समलैंगिक  न हो जाऊं .....हा हा हा हा हा हा हा

समलैंगिकों  आगे बढो ..हम तुम्हारे साथ हैं .........हा हा हा हा हा

जय हिन्द
-अलबेला खत्री





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Tuesday, December 10, 2013

एक हमें आपसी लड़ाई मार गई, दूसरी एक झाड़ू की लगाईं मार गई


chintan - manthan ke geet dedicated to congress by hasyakavi albela khatri

इटैलियन भौजी से पूछे सरदारा
भाजपा क्यों जीती, पंजा क्यों हारा
सर को झुका के तब भौजी ने बताया
महंगाई की लपटों ने लोगों को जलाया
जनता ने खुद का पंजा ओ ओ ओ ओ ओ
जनता ने खुद का पंजा, अपने मुंह पे मारा
इसीलिए हारा 
जयहिन्द !
अलबेला खत्री
________________________

एक हमें आपसी लड़ाई मार गई
दूसरी एक झाड़ू की लगाईं मार गई
तीसरी इक फेंकू की फैंकाई मार गई
और चौथी मेरे पप्पू की अगुआई मार गई
बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई

जयहिन्द !
अलबेला खत्री



dedicated to congress by hasyakavi albela khatri 1

dedicated to congress by hasyakavi albela khatri 2

dedicated to congress by hasyakavi albela khatri 3

dedicated to congress by hasyakavi albela khatri 4

dedicated to congress by hasyakavi albela khatri 5

dedicated to congress by hasyakavi albela khatri 6


Monday, December 9, 2013

झाड़ू कुण्डली


झाड़ू कुण्डली

झाड़ू वाले हाथ ने किया सूपड़ा साफ़
आम आदमी ऑन है बाकी सारे ऑफ़

बाकी सारे ऑफ़, किया कइयों को गंजा
पीला पीला हुआ, धवल शीला का पंजा

उखड़ गए दिल्ली में ख़ुद मैदान उखाड़ू
ख़ूब चलाया ए ए पी ने अपना झाड़ू

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
hasyakavi albela khatri on audio c d

Thursday, December 5, 2013

कवि तो किसी भी रस का चलेगा लेकिन आदमी वीररस का होना चाहिए


कविता किसी भी रस की हो अथवा कवि  किसी भी रस में सृजन करे, अपेक्षा केवल इतनी होनी चाहिए कि कथ्य व  चिन्तन मौलिक, प्रभावशाली और सरस हो ,,,,,,,,,,,,न वीर रस ऊंच  है, न ही हास्य  नीच ,,,,,सबका अपना महत्व है ,,,और फिर वीरों से ज़ियादह  हँस ही कौन सकता है ,,,सरहद पर जवान जब शहीद होता है तो रोते रोते नहीं बल्कि हँसते हँसते होता है और इसलिए शहीद होता है ताकि ये देश हँसता रहे , देशवासियों के घर-आँगन  खिलखिलाते रहें - तो हास्य कवि -सम्मेलन का आयोजन वीर शहीदों के लिए श्रद्धान्जलि जैसा होता है


मेरा मानना है  कि कवि तो किसी भी  रस का चलेगा  लेकिन आदमी वीररस का होना चाहिए

जय हिन्द ! 
अलबेला खत्री

my dear frind d v patel & mrs. kailasben d patel from nashville tn

contact for show : albela khatri

ये लेउवा पाटीदार है, ये लेउवा पाटीदार है


dedicated to my best friend d v patel nashville tn

प्रिय मित्र  डी वी पटेल नैशविल टैनिसी को समर्पित गीत

तर्ज़ : कहो न प्यार है

नयनों से नेह झलके,  वाणी में रसधार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

भारत की है ये रौनक, अमेरिका की बहार है
ये लेउवा पाटीदार हैa
ये लेउवा पाटीदार है

सूरत, नवसारी,वलसाड के गांव-गांव से आये
संग अपने,  गुजराती माटी की ख़ुशबू लाये
आ कर ख़ूनपसीने  से यहाँ वैभव के फूल खिलाये
मेहनत के ये पुजारी, संस्कृति से इन्हें प्यार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

हॉटेल और मॉटेल के बिजनैस को दिल से अपनाया
अतिथि देवो भवः की कहावत का निजधर्म निभाया
काम किया है जान लगा कर, तब ये रंग है आया
अब इनके हाथों में ये पूरा कारोबार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

एलपीएस ऑफ़ यूएसए सीनियर सिटिजन्स का प्यारा
विमेन्स डेवलेपमेन्ट और यूथ पावर का देखो नज़ारा
स्कॉलरशिप और मेट्रो-मोनियल  की बहती है धारा
मीटिंग्स में है मधुरता, कन्वेन्शन चमकदार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

शंकर, सीएम, नट्टू, रमण संग धनसुख की बलिहारी
अमृत, भग्गू, मुकेश, भरत, हसमुख ने शान सँवारी
किरीट, समीर ने रंग जमाया, आगे  सुनील की पारी
नैशविल के डाह्याभाई सेवा में लगातार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

-अलबेला खत्री

 mrs. kailasben d patel & mr. d v patel, nashville tn





ये 'बाबाजी का ठुल्लु' क्या होता है ?


ये 'बाबाजी का ठुल्लु' क्या होता है ?

क्या ये 'ठन ठन गोपाल' का कोई सगा सम्बन्धी है ? 


या 'घण्टा महादेवजी का' का समानार्थी है ?

मैं समझ नहीं पा रहा हूँ 


कोई बतायेगा ?


-अलबेला  खत्री
open support for narendra modi by hasyakavi albela khatri

Tuesday, December 3, 2013

जटायु, शबरी, केवट सा बनो तो राम मिलता है



तड़प जब दिल में होती है तो ये इनाम मिलता है
तेरी महफ़िल में ख़ालिस रिन्द को ही जाम मिलता है

ये वो सौदा नहीं जो हाट में सिक्कों से मिल जाये
जटायु, शबरी, केवट सा बनो तो राम मिलता है

नहीं मिलती ये दौलत मन्दिरो-मसजिद भटकने से
दया सतगुरु करे जिस पर उसी को नाम मिलता है

सुकूं तस्वीर से भी पा लिया करते हैं यों तो हम
मगर हों  रूबरू तो रूह को  आराम मिलता है

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री 


d v patel, c m patel & naranji patel with albela khatri at lps of usa san jose