तड़प जब दिल में होती है तो ये इनाम मिलता है
तेरी महफ़िल में ख़ालिस रिन्द को ही जाम मिलता है
ये वो सौदा नहीं जो हाट में सिक्कों से मिल जाये
जटायु, शबरी, केवट सा बनो तो राम मिलता है
नहीं मिलती ये दौलत मन्दिरो-मसजिद भटकने से
दया सतगुरु करे जिस पर उसी को नाम मिलता है
सुकूं तस्वीर से भी पा लिया करते हैं यों तो हम
मगर हों रूबरू तो रूह को आराम मिलता है
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
d v patel, c m patel & naranji patel with albela khatri at lps of usa san jose |
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